Saturday, May 8, 2021

प्यारी माँ

 माँ आज बड़े दिनों बाद मेरे दिल ने फिरसे अतीत में झाँकने की कोशिश की,मुझे बचपन से लेकर अब तक के सारे वो छोटे छोटे पल याद आ रहे जब आपने मुझें अपने प्यार से सींचा है। प्यारी माँ चाहे पापा की डांट की रही हो,या भैया दीदी से बिना बात का झगड़ा, टीचर की डाँट या दोस्तों से किसी बात पर मतभेद,इन सब के बाद जब मन विडम्बनाओं से भर जाता था,बार बार दुख की चट्टान से टकरा कर थक हार जाता था,हर बार आपके प्यार ने मेरे अंदर नयी उम्मीद जगाई है, मुझे अपने प्यार से सब कुछ ठीक करने का हौंसला दिया है। आपकी प्यार की एक झपकी सब कुछ अब भी ठीक कर देती है माँ। जब भी दुखी होकर रोती हूँ अब भी मुझे छोटे बच्चों जैसे आँचल में समेटकर अपनी अपनी ममता की शीतलता से मुझे शांत कर देती हो माँ।

मेरे हर हुनर को न केबल सराहा है बल्कि मेरे लिए हमेशा मेरे साथ खड़े होकर उस हुनर को सबके सामने लाने में मदद की है।चाहे स्कूल,कॉलेज में डांस हो या किसी सार्वजनिक जगह पर स्पीच देनी हो,या फिर काव्यपाठ करना जब भी अपनी प्रस्तुति देने के बाद तालियों की गड़गड़ाहट का शोर हुआ,आपके प्यार को उन तालियों में, लोगों से खुदकी तारीफ में पाया है। चाहें मेरे दोस्त हों,शिक्षक,रिश्तेदार,या छोटे बच्चें उन सबकी तारीफ में भी आपके ही संस्कारों की महक है। मैं हर किसी को तो नहीं बता सकती पर आपको कहना चाहती हूँ ...कि आज मैं जो कुछ भी हूँ सब आपकी बदौलत हूँ प्यारी माँ। मैने अपने हर अच्छे काम के पीछे आपको ही पाया है,आपकी हर सलाह हमेंशा मुझे लोगों के बीच विशेष बनाती है। चाहे आप खुद स्वस्थ न हो लेकिन अगर हमें जरा जा कुछ होता है तो हमारे लिए जो बन पड़ता है सब कुछ करती हो। खुद भोजन किया हो या नहीं अगर हमें भूख लगी है तो कैसे भी करके तुरंत कुछ न कुछ बनाकर खिला देती हो.....आपका प्यार अतुलनीय है माँ, मेरा कोई भी शब्द आपके बलिदानों को व्यक्त नहीँ कर पाएगा......पर बस इतना ही कहूँगी मेरा जीवन आपसे है माँ......और मेरा हर अच्छा गुण जो लोगों को प्रभावित करता है उन सब में आप शामिल हो.......मेरे हर पल में शामिल होने वाली.....मेरी जिंदगी से पहचान कराने वाली....मुझे जिंदगी को जीना सिखाने वाली....मेरे रोते हुए मुरझाए चेहरें में प्यार की मुस्कान बिखराने वाली.....मेरे जीवन को संवारने वाली मेरी जन्नत मेरी प्यारी माँ को मदर्स- डे की  ढेर सारी शुभकामनाएं माँ......  यूँ तो हर दिन आपका है और आपसे है पर फिर भी इस दिन का बेहद शुक्रिया जो आपको समर्पित है। 

I love you maa❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ 

आपकी रानी बेटी


Thursday, March 26, 2020

क्यों रोना, कुछ करोना (कोरोना)


कोरोना वायरस भारत के लिए बड़ी समस्या है,लेकिन जहां समस्या है वही समाधान भी है।रोकर या परेशान होकर हम इस समस्या से नहीं लड़ सकते रोने से कुछ होगा भी नहीं इसीलिए हमें सकारात्मक होना होगा और इस समस्या से लड़ना होगा।छोटी-छोटी चीजें जैसे अपने आस-पास सफाई रखकर,हर घंटे में साबुन से हाथ धोकर,कुछ भी छूने के बाद या कुछ खाने से पहले हाथ धोकर और अगर किसी विशेष वजह से बाहर निकलना हो तो चेहरे पर मास्क लगाकर और लोगों से कम से कम सम्पर्क में आने का प्रयास करके हम सब इससे लड़ सकते हैं।अगर हम सब इस लोकडाउन को सकारात्म पहलू से देखें तो समझ सकते हैं कि सरकार ने एक बेहतर फैसला तो लिया ही है बल्कि इसके साथ-साथ हमें पूरे 21 दिन खुदके लिए दिए हैं।घर मे बैठकर कोरोना वायरस पर जोक्स और फेक न्यूज़ फैलाने से ज्यादा बेहतर है हम इस समय का सदुपयोग करें। बहुत सारी चीजें ऐसी है जो हम घर के बाहर जाए बिना भी कर सकते हैं।अगर ठीक से समझें तो आपको विशेष समय मिला है जिसमे आप अपने परिवार को समय दे सकते हैं,अपनी आर्थिक व्यस्तता के कारण जो काम आप नहीं कर पा रहे थे आप वो सारे काम कर सकते हैं।अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करके बहुत से वो पल जो शायद निजी व्यस्तता के कारण आपने खो दिए होंगे वो आप फिर से जी सकते हैं।हमें अक्सर शिकायत रहती है की जो लोग घर में रहते हैं उन्हें कितना सारा वक्त मिलता है हम घर में होते तो ये करते,वो करते,ऐसा करते,वैसा करते वो सब आप अब कर सकते हैं। एक और बड़ी चीज जो आप बाहर जाकर नहीं बल्कि घर बैठकर देश के लिए कर सकते हैं,योगदान देकर आप कोरोना वायरस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।अगर विश्व का हर परिवार पूरे 24 घंटे में 30 मिनट या 15 मिनट के लिए भी एक स्थान पर मौन बैठकर परमात्मा से प्रार्थना करें और कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के लिए और सभी लोगों के लिए परमात्मा से क्षमादान माँगे तो बहुत ही जल्द हम कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। कहते है न जैसा सोचो वैसा होता है तो क्यों न हम बेहतर सोचें और न केवल अपने देश बल्कि पूरे विश्व को इस भीषण संक्रमण से बचाने के लिए एक छोटा से प्रयास करें। समस्या बहुत बड़ी है पर हौसला रखना होगा और लड़ते रहना होगा,हम चाहें तो सबकुछ कर सकते हैं।आप योग और योगा दोनो ही प्रयास से आप खुदको और देश को फिरसे मजबूत और स्वस्थ बना सकते हैं।रोने से बेहतर है हम कुछ करें और देश को बचाने की एक कोशिश करें।

Tuesday, January 7, 2020

अक्सर बच्ची बन जाती हूँ

चलो आज मैं अपना एक राज बताती हूँ
इतनी बड़ी होकर भी क्यूँ मैं अक्सर बच्ची बन जाती हूँ
बात ही कुछ ऐसी है जनाब चलो ये आपको भी समझाती हूँ
खुशी का ठिकाना नहीं रहता बच्चा गर बन जाओ अगर
सारी परेशानियों से फिर थोड़ी दूर सी हो जाती हूँ
बच्चों के साथ खेलकर फिर खुद मे एक बच्चा पाती हूँ
बच्चों की शरारतों में साथ देना,बचपन का एक अंश मैं वहां पाती हूँ
बच्चों के साथ बच्ची बनकर मैं बहुत खुश हो जाती हूँ
बचपन की गलियों में,मैं कई बार फिरसे घूम आती हूँ
बच्चे जब जिद करते हैं मेरे साथ खेलने की,खुद को उन्हें जरा व्यस्त बताती हूँ
पर एक दो बार से ज्यादा ये बहाना चल नहीं पाता मेरा
खुद ही उनके साथ खेलने तैयार हो जाती हूँ
सच कहूँ बहुत अच्छा लगता है निश्छल,निःस्वार्थी उन बच्चों के साथ वक्त बिताना
जहां खुद को खोकर मैं खुदको ही पाती हूँ
उनके साथ सैर सपाटे करना,टॉफियों के लड़ना
गुब्बारे से खेलना,घर के किसी कोने में छिप जाना
उनका भाग भाग कर पूरे घर को नाप लेना और
उनके पीछे मेरा लग जाना
मेरी वजह से उन्हें खुश होता देख खुद को खुशनसीब पाती हूँ
बस इसीलिए में अक्सर बच्ची बन जाती हूँ

Tuesday, December 3, 2019

डर रही हूँ मैं


यहीं चाहते थे न तुम की डर कर रहें हम हमेशा तुमसे तो सुनो
हाँ डर रही हूं मैं अब घर से निकलने से
हाँ डर रही हूँ मै अकेले चलने से
डर रही हूं मैं किसी पर भरोसा करने से
डर रही हूं मैं किसी को अपना कहने से
डर रही हूँ मैं इंसानो के बीच रहने से
डर रही हूं मैं बेटी होने से
डर रही हूं मैं किसी आदमी के साथ होने से
डर रही हूं मैं इस दुनियां के हर कोने से
जाने कहाँ कौन दुष्कर्मी मुझपर नजर लगाए बैठा होगा
जाने कब और कैसे वो मुझपर हमला कर देगा
डर रही हूं मैं किसी लड़के को जन्म देने से
डर रही हूं मैं पढ़ने लिखने जाने से
डर रही हूं मैं अब कंधे से कंधा मिलाने से
हर पल हर जगह बस अब डर ही मुझे सताता है
किस पल कोई मुझे नोंच डाले यह डर दिल को रुलाता है
तुम कामयाब हो गए साजिशों में अपनी
डर रही हूं मैं किसी लड़की के कोख में आने से
डर रही हूं मैं अपनी आन गवाने से








Sunday, June 30, 2019

पढ़े-लिखे दहेजि

जब देश के शिक्षित लोग  दहेज जैसी कुप्रथा को जायज़ बताते हुए दहेज की मांग करते हैं तो जहन में एक सवाल आता है क्या देश में वाकई शिक्षा का कोई महत्व बचा है?

हमारे माता पिता हमें पढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं और इसके पीछे उनकी यही सोच होती है की शिक्षा की कमी के कारण जिस सम्मान से वे वंचित रहे हैं हम न रहें।हम अच्छे और बुरे  को समझें,सही गलत में फर्क कर सकने के योग्य बने।लेकिन ये महज बातें रह जाती है जब एक शिक्षित परिवार किसी परिवार में विवाह के लिए लड़की देखने जाते हैं और वहां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग करते हैं।और शिक्षा के सारे मूल्य तो तब खत्म हो जाते हैं जब हम अपने परिवार का विरोध करने की वजाय साथ देते हैं।मानते हैं की हमारे परिवार के कुछ बुजुर्ग वर्ग इसे जायज समझते हैं। लेकिन उन से ज्यादा दोषी तो हम हैं क्योंकि हमें बचपन से ही पढ़ाया जाता है की दहेज लेना देना अपराध है और इसके लिए सजा का प्रावधान भी है फिर हम उन्हें ये अपराध करने देते हैं और इसमे बाकायदा उनका साथ देते हैं।और समाज अगर सवाल उठाए तो कहते हैं बड़ों की बात में हमारा बोलना शोभा नहीं देता। तो अगर आप इतने ही मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो फिर क्यों अपने बड़ों को नहीं समझाते की यह बहुत बड़ा अपराध है। कई बार तो देखने में यह आता है की दूल्हा खुद दहेज की मांग करता है। और अब तो जितना पढ़ा लिखा लड़का है दहेज में उतनी ही मोटी रकम मांगी जाती है। विवाह को व्यापार बना लिया गया है और पढ़े लिखे दूल्हे को सबसे महँगी वस्तु जिसकी हैसियत हो अपनी बेटी के लिए खरीद ले।

ये तो हुई शिक्षित पक्ष के दहेज लोभियों की बात  लेकिन वधु पक्ष भी शिक्षा के मूल्यों को समाप्त कर देते है जब वे अपनी बेटी को दहेज लोभियों को सौपते हैं। उन्हें भी समझना चाहिए की हम एक अपराध करने जा रहे।विवाह दो परिवारों के बीच बना मधुर सम्बन्ध है कोई व्यापार नहीं।और  इस करके आप अपनी बेटी की योग्यता पर भी सवाल उठाते हैं।

एक शिक्षित व्यक्ति अगर शिक्षा के सही अर्थ को समझता होगा तो न तो दहेज लेगा और न ही दहेज देगा। दहेज मांगकर हम स्वयं ही अपने सम्मान को कम कर देते हैं।और दहेज देने वालों को भी यह समझना होगा की अगर कोई व्यक्ति आपकी बेटी से शादी करने के लिए दहेज की मांग कर रहा है तो फिर घर में रखने के लिए न जाने कब कब क्या क्या मांगे करेगा और मांगे पूरी न होने पर आपकी बेटी ही किसी अपराध का शिकार होगी।आप ऐसे घर में अपनी लाड़ली को क्यों भेजना चाहते हैं जहां वो सुरक्षित नहीं है।

Tuesday, June 25, 2019

तू न आना इस देश मेरी लाडो


             "जो बेटियों को इस दुनियां में लाने के लिए सबसे लड़ जाया करती थीं अब ऐसा क्या हुआ जो खुद वही मां उन्हें इस दुनिया में आने से रोकना चाहती है। "

एक मां की उसकी अजन्मी बेटी से बातचीत-
ओ लाडो में जानती हुं मैं भगवान से मिन्नतें मांगा  करती थी की वो मुझे एक प्यारी सी बेटी दे दें। जिसे में जी भर कर दुलार करूँ,उसे झूला झुलाऊँ,उसकी नन्हीं हथेलियों को लेकर अपने गालों में स्पर्श करूँ,जब वो रोने लगे तो अपनी गोद में उठाकर सीने से लगाकर उसे लोरियां सुनाऊँ,उसके बड़े होने पर उसे स्कूल भेजने के लिए उसकी चोटियां बनाऊं,और जब वो स्कूल से लाइ अपनी ढेर सारी बातों का पिटारा खोले तो उसके साथ बैठकर उसकी बातों को सुनती जाऊँ, फिर उसके बड़े होने पर अपनी परछाई को उसमें देखूँ,और उसके कामयाब होने पर सबको कहुं देखो बेटीयाँ बोझ नहीं होती माँ-बाप की शान होती हैं।लेकिन मेरी प्यारी लाडो अब में भगवान से दुआ मांगती हुं की इस दुनियां में फिर किसी लाडो को न भेजे,क्योंकि लाडो तेरी माँ तेरी रक्षा करने में खुद को असमर्थ पा रही है।इस दुनियां में ऐसा कोई मेरी कोख के सिबा मुझे औऱ कोई जगह तेरे लिए सुरिक्षत नजर नहीं आ रही। जहां दूध पीती बेटियां भी जालिमों का शिकार हो रही है वहां तुझे में कैसे सुरिक्षत रख पाऊँगी।इस जालिम जमाने में जहां दुष्कर्मी सिर्फ औरत के जिस्म को नौचना जानते हैं, जहां में भी असुरक्षा के भाव के साथ जी रही हुं तुझे कैसे इस दुनिया में आने दू।मैं जानती हुं तु मेरी कोख की दीवारों को चीरकर बाहर निकलना चाहती है, इस दुनियां में अपना अस्तित्व बनाना चाहती है लेकिन इस दुनियां में इंसान की तरह दिखने वाले हैवान न जाने कब तुझे अपना शिकार बना ले मैं ये सब नहीं देख पाऊँगी। फिर किससे इंसाफ की गुहार लगाउंगी,कौन सुनेगा मुझ अभागन की। इस दुनियां में जहां महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है वो सुरक्षित नहीं हैं, फिर कैसे में तुझे इस दुनिया में तेरे नन्हें कदम रखने दू। इस दुनियां में जहां घर के पालने में भी शायद तु सुरक्षित नहीं है कैसे और किस-किस से लड़ेगी तेरी माँ लाडो अब मेरी सारी हिम्मत टूट चुकी है। मैं जानती हुं ये संसार तेरी किलकारियों के बिना अधूरा और नीरस है,लेकिन तेरे जैसी कई  लाडो के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पापियों के लिए यही सजा होनी चाहिए। मेरी आँचल सूना होने का दुख सह लूंगी में यह सोचकर की कम से कम मेरी लाडो असुरक्षित तो नहीं है।लाडो तु अपनी मां का कहना मानना और इस दुनिया में कभी मत आना।

Tuesday, December 25, 2018

जीना है मुझे मेरे हिसाब से

कहते सब महान है उसे
पर मानता कौन है
कोशिश सब करते है जानने की उसे
पर पूरा उसे जनता कौन है
नारी एक पन्ना नही पूरी किताब है
कितने कष्ट दिए है हमने उसे
इसका पूरा हिसाब है
एक तरफ अखबारों में नारी का महान रूप दिखाया होता है
तो वहीं दूसरी ओर किसी दरिंदे ने किसी नारी को नोंच कर खाया होता है
नारी को नारी ही रहने दो खिलौना मत बनाओ
इंसान वो खुद भी है खुद जानवर बनकर अपना भोजन उसे मत बनाओ
उसने हर रिश्ते हो बेहतर सम्भाला है
उसके होने से हमारे जीवन मे उजाला है
जीने दो उसे भी अपने तरीकों से
बंधन नही तोड़ेगी वो और
उड़ती जाएगी अपने सलीको से
बंधन में बंधकर ऊंचाई की हर हद को तोड़ना वो जानती है
करने दो प्रयास उसे भी ऊंचा उड़ने दो
वो बस अपनों से एक मौका चाहती है
उसके कपड़ो से उसके आचरण को परखना बंद करो अब
थामो हाथ उसका  दुनिया के झूठे दस्तूरों से लड़ने में मदद करो अब
उसमे सबकुछ करने का हौसला खूब है
वो चाहती है बस साथ और विश्वास आपका
इतनी सी मांग पूरी करने में हमें सोचने की जरूरत क्यों है
चलो सोचते है अब उसके बारे में
जिसने हमेशा हम सबके बारें में सोचा है
देते है साथ उसका अब
जिसने कई बार खुद भूखा रहकर
पतीले का आखिरी भोजन आपकी थाल में परोसा है